Mahakal Sawari 2022: उज्जैन में महाकाल की पहली सवारी 18 जुलाई तथा शाही सवारी 22 अगस्त को निकाली जाएगी।

कब निकलती है सवारी

मंदिर की परंपरा अनुसार श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार तथा भादौ मास में भादौ कृष्ण अमावस्या तक जितने भी सोमवार आते हैं, उन पर भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है, इसलिए इस बार श्रावण मास में चार तथा भादौ मास में भगवान महाकाल की दो सवारियां निकलेंगी।यह है परंपरागत मार्ग

महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचती है। यहां महाकाल पेढ़ी पर पालकी को विराजित किया जाता है। इसके बाद पुजारी भगवान महाकाल का शिप्रा जल से अभिषेक कर पूजाअर्चना करते हैं। पूजन पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिकचौक, खाती समाज का जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर के सामने से होकर ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए शाम 7.30 बजे पुन: महाकाल मंदिर पहुंचती है।इस बार कब-कब निकलेगी सवारी

- 8 जुलाई को श्रावण मास की पहली सवारी

- 25 जुलाई को श्रावण मास की दूसरी सवारी

- 1 अगस्त को श्रावण मास की तीसरी सवारी

- 8 अगस्त को श्रावण मास की चौथी सवारी

- 15 अगस्त को भादौ मास की पहली सवारी

- 22 अगस्त को श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी

उज्जैन: क्यों प्रजा को आशीर्वाद देने निकलते हैं महाकाल, जानें कब से शुरू हुई ये परंपराउज्जैन: बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल मन्दिर में भस्म आरती के साथ सावन के पहले सोमवार को बाबा की पूजा-अर्चना की गई. आधी रात 2.30 बजे ही मंदिर में भस्म आरती शुरू हुई जिसमें दूध, दही, घी, शहद, फूल इत्र आदि से भगवान को स्नान कराया गया. मान्यता है कि सावन में सोमवार को शिव के दर्शन करने से जो मांगो वो फल मिलता है. भस्म आरती के बाद भक्तों को दर्शन देने के लिए आज शाम 4 बजे महाकाल की सवारी भी मंदिर से निकलेगी.